Friday 7 April 2017

ब्लड प्रेशर कम होने का कारण-लक्षण और ऊपाए । Low Blood Pressure /Hypotension Cause,Symptom and Treatment.


           इस तनाव भरी जिँदगी में  लोगों में  ब्लड प्रेशर (रक्तचाप) की समस्या बढती जा रही है। जितना घातक हाई ब्लड प्रेशर होता है उतना ही  लो ब्लड प्रेशर नुकसान करता है। आज कल तो यह बीमारी 25 और 30 की उम्र के  लोंगो में  देखी जा सकती है।
Low blood pressure



    क्‍या है लो ब्‍लड प्रेशर?
नार्मल ब्लड प्रेशर 120/80 होता है। थोड़ा कम और ज्यादा होने से कोई फर्क नही पड़ता, ऊपर 90 से कम हो जाए तो उसे लो ब्लड प्रेशर, निम्न रक्तचाप कहते हैं।लो ब्लड प्रेशर(Hypotention) में शरीर में ब्लड का दबाव कम होने से आवश्यक अंगों तक पूरा ब्लड नही पहुंच पाता जिससे उनके कार्यो में बाधा पहुंचती है
    लो ब्‍लड प्रेशर के लक्षण-

  • आंखों के सामने अंधेरा छा जाना चक्‍क्‍र आना बेहोशी आना।
  • हाथ पैर ठंडे पड़ जाते हैं।
  • हार्ट बीट तेज हो जाती है। 
  • सीने में दर्द होना
  • सुस्ती पडना
  • सिर दर्द
  • नींद आना
   लो ब्‍लड प्रेशर का कारण- 
  • पोषक तत्वोँ की कमी बाला भोजन करना।
  • डीहाइड्रेशन
  • अधिक पसीना आना
  • खून की कमी
  • बुखार
  • कुपोषण
  • शरीर के जरूरी अंगों तक खून का कम पहुंचना
  • निराशा का भाव लगातार बनें रहना
  • ज्यादा ठंडे वातावरण में रहना
    लो ब्लड प्रेशर मे कया खाना चाहिए ?
रोजाना चुकंदर का जूस नमक डालकर सुबह-शाम  150 - 150 एमएल पिया जाना चाहिए। मल्‍टी विटामिन सप्‍पलीमेंट,विटामिन सी, विटामिन बी सप्‍पलीमेंट और प्रोटीन वाली चीजों का उपयोग करें। इससे कुछ ही दिनों मे ब्लड प्रेशर सही हो जाएगा। नमक खाना सही है ।हो सके तो सेंधा नमक उपयोग करें।
* कच्चे लहसुन का प्रयोग अधिक करें। एक जा दो कली रोज चबाकर खायें। इससे रक्त प्रवाह (Blood Circulation) ठीक रहता है।
*  कच्ची पत्तेदार सब्जियों का सलाद अधिक खायें ।
*  अंकुरित अनाज अधिक मात्रा में खायें ।
*  अर्जुन की छाल का काढा पीने से भी अराम मिलता है।
*  लोकी का रस निकालकर पीना लाभदायक है।
*  एक तोला मैथी दाना लेकर उसका काढा बनाये इसमें शहद मिलाकर चाय की तरह पीयें।
ब्लडप्रेशर लो होने पर तुरंत क्या करना चाहिए ।
1. तुरंत ही बैठ या लेट जाना चाहिएं, अपनी मुट्ठियों को खोलें  और बंद करें, लंबी-लंबी सांस लें।
2. नमक ,चीनी, नींबू का शर्बत पिएं।
3. पैरों के नीचे दो तकिए लगाकर लेटें।

Wednesday 29 March 2017

उच्च रक्तचाप के 10 सरल और सफल घरेलू नुस्खे। Simple and Successful Home Remedies For High BP

        गलत खानपान ,गलत रहन सहन (Lifestyle ) ओर वड रहे तनाव(tension) की वजह से बहुत सी बिमिरीयां होना आज आम बात होती जा रही है।इन बिमारीयों मे बहुत ही तेजी से बड रही बिमारी उच्च रक्तचाप (Hypertension) है।उच्च रक्तचाप होने के कई कार्ण हो सकते है।
उच्च रक्तचाप ह्रदय, रक्त संचालन प्रणाली(Blood Circulation) की गडबडी,गुर्दो की किसी समस्या के कार्ण हो सकता है। यह रोग किसी को भी हो सकता है।
जह एक ऐसा रोग है जिसका कई सालों तक तो पता ही नही चलता।जह चुपके-चुपके शरीर मे आता है ओर साथ मे ओर भी कई बिमारीयां लाता है। जो लोग क्रोध, भय,दुख, चिंता, जैसी भाभनायों के प्रति संवेदनशील होते हैं।उनहे जह रोग अधिक होता है।इस रोग का तब पता चलता है जब इसका प्रकोप अधिक होता है। जो लोग शरीरक महिनत कम करते है,धूम्रपान,शराब अधिक पीते है जा अधिक तनाव मे रहते है।उन्हें इस रोग के होने की ज्यादा संभावना होती है।  
treatment of hypertension
लक्षण:- इसमें सिर मे दर्द होता है।चक्कर आने लगते है।दिल की धडकन तेज हो जाती है।शरीर थका-थका सा रहता है।जी घबराता है।काम मे मन नहीं लगता।पाचन की गडवडी,आखों के सामने अंधेरा आना, नींद ना आना जैसे लक्षण होते है।
कया है उपाय:- जिन लोगों को उच्च रक्तचाप की समस्या है उनहे नमक कम खाना चाहिए ओर सफेद नमक की जगह सेंदा नमक खाना चाहिए, चाए कोफी को भी छोड़ देना चाहिए। जहां पर हम आपको उच्च रक्तचाप के 10 ऐसे सरल घरेलू उपाय बता रहे है जिनको अपनाकर आप इस बिमारी से मुक्ति पा सकते हैं ।

1. चुकन्दर + गाजर +पपीता+ सन्तरा का रस बराबर मात्रा मे मिलाकर पीयें।
2. कच्चे लहसुन की एक-दो कली को पीसकर प्रातकाल चाटने से उच्च रक्तचाप समान्य होता है।
3. सफेद प्याज के रस को शहद मे मिलाकर लेने से जह रोग खतम होता है।
4. नीम की पत्तियों को चबाने से जा उस का रस निकालकर पीने से रक्तचाप ठीक होता है।
5. नीबू के रस मे शहद मिलाकर सुबह-शाम चाटने से उच्च रक्तचाप कम हो जाता है।
6. रोजाना रात को गरम पानी के साथ त्रिफला लेने से इस रोग मे आराम होता है।
7. आंवला का रस इस रोग के लिए बहुत ही अच्छा है।आंवला को मुरब्बा जां किसी ओर रूप में भी लीया जा सकता है।
8. जीरा, सोफ ओर मिश्री को बराबर मात्रा मे मिलाकर चूर्ण बना लें इसे सुबह-शाम सादे पानी के साथ लें ।
9. रोजाना मीठे सेब ओर पपीता खाने से रक्तचाप कम होता है।
10. सर्पगन्ध बूटी की जड का पावडर बनाकर दिन मे समान्य पानी के साथ तीन बार लें ।

Thursday 16 March 2017

सहजन पेड़ के स्वास्थ्य लाभ। Health Benefits of Moringa Tree.

          मानव के लिए कुदरत का चमत्कार सहजन (Moringa).इसमे कोई शक नहीं कि सहजन एक चमत्कारी पेड़ है।जह दुनिया का सबसे ताकतवर पोषण पूरक आहार है। सहजन  300 से अधिक रोगो मे बहुत ही उपयोगी पेड़ है। इसकी जड़ से लेकर तना, गोन्द,फूल, पत्ती ओर फलीयां हर चीज़ उपयोगी होती है
इसका उपयोग आयुर्वेद मे सुश्रुत के समय से होता आ रहा है।

Botanical Name : Moringa oleifera
Hindi name : Sehjan,Munga
English : Drumstick, Horseradish tree,Drumstick tree,west Indian ben.
Ayurvedic: Shigru (white van) sigra,shabhaanjana,haritashaaka raktaka,mochaka murangi,akshiva,teekshanagandha.
Unani : Sahajan.
Tamil : Munagai.
सहजन के ओषधीए गुण
रस (Taste): कटू,तिक्त,
गुण (Quality) : लघु(Light to Digest) रूकषा (Dryness) तीकषना (Strong Piercing).
विपाक (After Digestion Taste) : कटू
वीर्य : ऊषण (Hot Potency)
त्रिदोशिक असर : कफ ओर वात का संतुलन करता है।
किसमें और उपयोगी हिस्से :
आयुर्वेद की किताबों मे सहजन की तीन किसमो का  जिकर आता है।
1. रक्त -Red variety -इसे मधु सिगरू कहते हैं।
2. शयाम -Black variety.
3. शवेत - White variety.
सहजन (Drumstick tree) की शयाम किसम समानयता जयादा उपयोग मे आती है। बाकी दो किसमों में भी इसके समान गुण होते हैं।
सहजन की जड,पत्ते, फूल, फलीयां,छाल सभी सवास्थय के लिए लाभकारी हैं। समानयता इसके पतों और फलीओं को ज्यादा उपयोग मे लाया जाता है।
सहजन खाने से होने वाले लाभ : 
  • इसे खाने से पाचन तंत्र सही होता है।
  • वीर्य (Semen) के गुणों और मात्रा को बढाता है।
  • आखों के लिए अच्छा है। आखों की रोशनी देखने की शमता (Vision) को बढाता है।
  • फोडों को ठीक करता है।इसके पेस्ट को फोडों पर लगाने ओर खाने से फोडे ठीक हो जाते हैं।
  • पेट के कीडे खतम करता है।
  • तिली (Spleen) के रोगों मे उपयोगी है।
  • दिल के रोगों के लिए अच्छा है।दिल के लिए एक टाँनक का काम करता है।
  • मोटापा कम करता है।
  • शरीर से जहरीले पदार्थों (Toxic Aliments) को बाहर निकाल देता है।
  • बहुत सारी खोजों मे पाया गया कि सहजन में सूगर रोधी (Anti Diabetic) और Antioxidant गुण हैं। इस लिए जह सूगर के लिए फायदेमंद है।
  • सहजन से बने तेल सिरदर्द, चरम रोगों ओर सूगर के लिए फायदेमंद है।
सहजन के पौष्टिक गुणो की तुलना:
विटामिन सी (Vitamin C) संतरे से सात गुणा ज्यादा।
कैलशियम (Calcium) दूध से चार गुणा ज्यादा।
प्रोटीन (Protein) दही से तीन गुणा ज्यादा।
पोटेशियम (Potassium) केले से तीन गुणा ज्यादा।
विटामिन (Vitamin A) गाजर से चार गुणा ज्यादा।
इसकी हरी और सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन , कैल्शियम , पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम,
विटामिन-ए , सी और बी-काम्प्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं ।
सहजन के ओषधी के रूप मे उपयोग :
इसके उपयोग से कई बिमारीओं का ईलाज किया जा सकता है।
* इसकी छाल को गठिया ,साइटिका लीवर के रोगों मे उपयोग किया जा सकता है। इसकी छाल को शहद के साथ मिलाकर पीने से वात और कफ रोग खत्म हो जाते हैं।
* इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से साइटिका , पक्षाघात ,गठिया,वायु विकारों मे लाभ पहुंचता है। साइटिका में इसकी जड़ का काढ़ा चमत्कारी प्रभाव दिखता है.
*मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं और मोच के स्थान पर लगाने से जल्दी ही लाभ मिलने लगता है |
* सहजन के फलीयों की सब्जी बनाकर खाने से जोड़ों के दर्द , गठिया का दर्द , वात रोगों में लाभ होता है।
* इसके ताजे पत्तों का रस निकालकर कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।
* इसके पत्तों औऱ फलीयों की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी टूटकर निकल जाती है,
हिदायतें (Precautions) : सहजन की तासीर गरम होने की वजह से कमजोर पाचन तंत्र वालों मे पेट मे जलन जैसी  पेट की समस्याए हो सकती है।पित प्रकृति वालों को इसे कम मात्रा मे उपयोग करना चाहिए। इसकी ज्यादा मात्रा लेने से शरीर मे गरमी बड सकती है। रक्त विकारों (Bleeding Disorders) मे इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
सहजन मे प्रोटीन, विटामिन, मिनरल,एंटी आकसीडेंट तत्व भरपूर मात्रा मे होने के कारण यह गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत अच्छा है। लेकिन इसके पत्ते,जड,छाल ओर फूलों को गर्भवती महिलाओं को नहीं लेना चाहिए।http://amzn.to/2n1ndl4

Monday 6 March 2017

आंवला फल के स्वास्थ लाभ ।Health Benefits Of Amla in Hindi

        कहते हैं आंवले का खाया ओर बजुर्गो का कहा बाद मे पता चलता है। आंवले का स्वाद भले ही कडवा लगे लेकिन इसके स्वास्थ्य लाभ उतने ही अच्छे हैं। आंवला 100 रोगों की एक दवा है। आंवले के अच्छे स्वास्थ लाभों की वजह से लोग सदीयों  से इसका उपयोग कर रहें हैं।आंवला का उपयोग  करनेवाला सदा जबान ,सुंदर, ओज्सवी बना रह सकता है। का प्रयोग सभी रोगों मे बिना किसी नुकसान के किया जा सकता है। आंवला  विटामिन सी (Vitamin C) का बहुत बडा प्राकृतिक स्रोत हैइसके एक फल मे लगभग 3,000 mg तक विटामिन सी पाया जाता है।आंवला खाने से बालों का झडना बंद होता है।इससे आखों की रोशनी बडती है। स्किन की सम्सया मे भी आंवला बहुत अच्छा है।पेट गैस ,एसिड बनना मे बहुत लाभ करता है।दिल ओर दिमाग के लिए एक अच्छा टोनिक है। शरीर से विषेले पदार्थों  (Toxins) को बाहर निकाल देता है।आंवला के ओर भी बहुत से लाभ हैं।
आंवले के पत्ते ईमली के पत्तों के जैसे होते हैं। इसके पेड़ मे मार्च से मई तक फूल आते हैं ओर फल सर्दियों मे लगते हैं।
   
अलग-अलग भाषाओं में नाम 
Hindi : Amla
Punjabi : Aula,Amla
Sanskrit:Amlaka,Amritaphala, Dhatriphala
English : Emblic Myrobalan,Indian Gooseberry
Gujarti : Ambla,Amala 
Assamese : Amlaku, Amlakhi, Amlakhu
Bengali : Amla, Dhatri 
Kashmiri : Embali, Amli
Malayalam : Nellikka
Marathi : Anvala, Avalkathi
Oriya : Anala, Ainla
Tamil : Nellikkai, Nelli 
Telugu : Usirika
Kannada : Nellikayi

आंवला को कई रूपों में प्रयोग किया जा सकता है।
अचार, चटनी, मुरब्बा,फल,जूस, चूर्ण के रूप मे इसका जियादा प्रयोग होता है।
आंवला को एक Immunity Booster   की तरह उपयोग कीया जा सकता है।
एक रसायन होने की वजह से जह शरीर मे बल,वीर्य ,ओज को बडाकर आयु की वृद्धि करता है।
इसके उपयोग से शरीर मे बडे हुए वात,पित ओर कफ का नाष होता है। इसकी तासीर ठंडी होने की वजह से जह शरीर में अधिक गर्मी को नष्ट करता है।

आयुर्वेदिक गुण (Ayurvedic Properties) 
रस: कटू, मधुर, काषाय, अम्ल
वीर्य: शीत
गुण: लघु,रूक्ष
विपाक: मधुर
कर्म: त्रिदोषहर, रसायन वृष्य

अलग-अलग रोगों मे उपयोग :-
  • पित(शरीर मे गर्मी) के सभी रोगों मे उपयोगी है।
  • शरीर मे खून की कमी (Anemia) को दूर करता है।
  • लीवर की कमजोरी को दूर करता है।
  • दिमाग के रोगों मे बहुत अच्छा है।
  • शरीर मे खून (Blood) हड्डियों (Bones) ओर सेल्स को बनाने का काम करता है।
  • शरीर मे लाल रक्त कणों (Red Blood Cells) की गिनती को बढाता है ओर बल्ड सूगर को नियंत्रित करता है।
  • यह दिल ,दिमाग ,आखों ,त्वचा,फेफड़ों, आंतो ओर बालों के लिए एक ऊतम टानिक है।
  • बालों का असमय सफेद होना (Graying )ओर गंजापन को रोकता है।
  • जह कब्ज (Constipation) अपच (Indigestion) पेट की सभी बिमारीयों मे प्रभावी है।
  • दांतों से खून बहना (Gums Bleeding) को रोकता है ओर दातों  को मजबूती प्रदान करता है।
आध्यात्मिक लाभ (Spiritual Benefits)
आंवला सात्विक (Pure) गुणो वाला है। जह लंबी उम्र ,प्रेम, ओर अच्छा भागय प्रदान करता है। वह माताए जो अपने बच्चो के साथ गुस्से वाला बरताव करती हैं जह उनको शांत करकर उनकी भाभनाओ को नियंत्रित करता है।जिन बच्चों की माता नही है जह उनमे उनकी माता की उपस्थिति की समझ भर देता है।इसी कार्ण इसका एक संस्कित का नाम धात्री (Dhatri) है जिसका मतलब "माता" होता है।

औषधि के रूप मे उपयोग (Medicinal Uses of Amla)
आंवला का प्रयोग बहुत से रोगों मे किया जाता है।

रकत प्रदर (Dysfunctional Uterine Bleeding) :- रकत प्रदर में आंवला का चूर्ण जां आमलकी रसायन 3-4 ग्राम की मात्रा मे दिन मे दो बार लेना चाहिए।
नकसीर (Bleeding From Nose) :- आंवले के चूर्ण का सुबह-शाम नियमित सेवन करना चाहिए।
अमल-पित्त (Hyperacidity):- इसमें खट्टे डकार, पेट मे जलन,उलटी आना ओर अपच जैसे पेट विकार होते हैं। अम्ल पित्त के लिए आंवले का जूस 15-20 मिलीग्राम की मात्रा मे दिन मे दिन मे दो बार लेना चाहिए।
बालों के रोगों मे (Hair Problems):- बाल झडना सफेद होना जैसी बालों की समस्याओं मे आंवला चूर्ण ओर रस को प्रयोग किया जाता है।बाहरी प्रयोग  मे आंवला चूर्ण को महिँदी के साथ मिलाकर बालों मे लगाने से बालों का झडना ओर सफेद होना रूकता है।
स्वप्न दोष ( Nocturnal Emission ):- आंवले का मुरब्बा सेवन करते रहने से इस समस्या का निवारण होता है।
बवासीर (Piles) :- आंवला चूर्ण 1-1 चम्मच दिन मे दो बार छांछ के साथ लगातार कई दिनों तक लेने से बवासीर मे लाभ होता है।
विस्तर पर पेशाब (Bed Wetting):- आंवला चूर्ण 2 चम्मच + मिक्षी 4 चम्मच + जीरे का चूर्ण 2 चम्मच को मिलाकर रख ले दिन मे तीन बार आधा-आधा चम्मच की मात्रा मे लें।
पेशाब मे जलन (Burning Urination) :- शहद को आंवले के रस मे मिलाकर दिन मे दो बार पीने से पिशाब खुलकर आता है ओर जलन खतम होती है।

Wednesday 1 March 2017

How to lose Weight ( Home Remedy ) मोटापा कम करने का रामबाण नुसखा ।

      यह नुसखा करेगा मोटापे का अंत।अगर आपको लगता है कि आप मोटे हो गए हैं। तो समझ लीजिए कि आप ने बिमारीयों को दावत दे दी है।मोटापा अपने आप मे ही एक बीमारी है ओर इसकी वजह से ओर भी बिमारीआं होने की संभावना बड जाती है। मोटापा कम करने के नाम पर आज बाजार में बहुत सारी दवाएँ उपलब्ध है।लेकिन फिरभी लोग मोटे हैं।आप को एक बात तो माननी पड़ेगी कि अच्छा स्वास्थ्य किसी बजार मे नहीँ  बिकता। भले ही आपके पास बहुत सारा पैसा आ जाए लेकिन आप अपने पैसे से अच्छा स्वास्थ्य नहीँ ख़रीद सकते। आपको मोटापे के कारण जानीके इसकी जड़ पर काम करना होगा। ओर इसी जड़ पर काम करेगा हमारा जह नुसखा ।अगर आप अपना खान-पान ओर आपने रहन-सहन (Lifestyle) को थोड़ा सा बदल ले तो ओर भी अच्छे प्रणाम (Results) हासिल किए जा सकते है।अपने खाने मे उन चीजो को छोड़ दे जिनकी वजह से आप का मोटापा बडता है।जैसे :- तली हुई मसालेदार मैदे वाली चीजे, बर्गर, पीजा ओर अन्य फ़ासट फ़ूढ ।साथ मे हो सके तो आराम वाली जीवन शैली (Lifestyle)  को भी तयाग दें।
     आज हम आपको एक ऐसा नुसखा बताने जा रहे है ।जो हजारो लोगों के ऊपर आजमाया हुआ है।बहुत से लोगो ने इसको अपनाकर मोटापे से मुक्ति पाई है।

आइए जानते है कया है नुसखा :- एक बहुत ही जानी मानी आयुर्वेद की ओषधी है जिसका नाम है " त्रिफला " (Trifla) जह  हरड-बहेडा-आंवला तीनो फलों  के समभाग मिश्रण से बनता है। जह आयुर्वेदिक दबाओ के सटोर से बना बनाया मिल जाता है। 
त्रिफला के प्रयोग से आप मोटापे से मुक्ति पा सकते हो।

कैसे करे प्रयोग :- सबसे पहले आप एक चम्मच त्रिफ़ला चूर्ण ले लें ।अब इसको एक गिलास पानी में भिगोकर रखदें।जह काम आप रात को करें ।सुबह इस पानी को तबतक ऊबाले जब तक पानी आधा न रह जाए।आधा शेष रहने पर छान लें ओर थोड़ा ठंडा होने पर ईसमे 2 चम्मच शहद मिलाकर पिएँ ।कुछ ही दीनो मे आप देखेंगे कि आपका कई किलो वज़न कम हो गया है। 

Sunday 12 February 2017

Aloe Vera | सभी बीमारीयों की एक दवा।

      एलोवेरा पूरी दुनिया मे पाया जाने वाला एक ऐसा जैलीए पौदा है  जिसे दुनिया भर मे सेहत (Health) ओर सौन्दर्य वर्धक उतपाद बनाने में प्रयोग किया जाता है।दुनिया भर की मशहूर हैल्थ ओर सौन्दर्य उतपाद बनाने वाली कंपनीया बड़े पैमाने पर एक ख़ास वातावरण मे एलोवेरा की खेती करती है।एलोवेरा दिखने मे एक अजीब सा काटेंदार पोदा है। अगर संजीवनी बूटी की बात की जाए तो जह संजीवनी बूटी से कम नहीँ है।जह हर बीमारी की एक रामबाण ओषधी है।एलोवेरा जडी बूटीयो मे एक चमत्कारी ओषधी की तरह है।इससे हर बीमारी का इलाज किया जा सकता है।एलोवेरा मे कुछ ऐसे ओषधीए तत्व है जो शरीर मे अपने आप नहीँ बनते जह तत्व सिर्फ़ एलोवेरा से ही प्रापत हो सकते है।अन्य जडी बूटीयों के मुक़ाबले इसमें कही जिआदा गुण पाए गए हैं।
      एलोवेरा के बहुत से लाभ है।आइए जानते हैं इसकी संपूर्ण जानकारी के बारे में ।

भिभिन नाम :- इसके कई नाम हैं।जैसे : एलोवेरा (AloeVera) साइलेंट हीलर, ग्वारपाठा, कवारगंदल, घृतकुमारी (Ghirita Kumari) कुमारी ।

गुण कर्म :- इसका सबाद कडवा, तीखा, कसैला ओर मीठा होता है। जह शरीर के तीनो दोषो वात-पित-कफ (Vata ,Pita, Kapha) को एक समान रखता है।एलोवेरा की तासीर ठंडी होने की बजह से जह पेट के रोगों मे विशेष लाभ करता है।

किन बिमारीयो में है उपयोगी :-  एलोवेरा को मोटापा, डायबिटीज, ब्लड-प्रेशर (BP), कोलैस्ट्रोल (Cholesterol), ह्रदय के रोग (Heart Problems), खाँसी, जुकाम, बालों का ज्ञडना ओर असमय सफ़ेद होना, अस्थमा, बवासीर, कब्ज, जोड़ो का र्दद, शरीर का र्दद , सायटिका र्दद, सर्वाइकल, गाल ब्लैडर की पथरी, लीवर रोग , अलसर, नसों के रोग, निमोनिया, टीबी, पाचन तंत्र के रोग, माईग्रेन, ब्रोन्काईटिस, आखो की बिमारीयां, किडनी के रोग, कैंसर, पीलिया, कील-मुहासे, शराब से होनेवाली हानीया,  काम सकती ओर वीर्य को वडाने मे प्रयोग किया जाता है।

एलोवेरा के चिकित्सकीए प्रयोग (Medicinal Uses of AloeVera) 

पेट के रोगों में :- अगर एलोवेरा जेल जां जूस को कम मात्रा मे लिया जाए तो जह एक पाचक (Stomachic) का काम करता है।इसकी जियादा मात्रा सेवन करने पर जह एक रेचक (Laxative) का काम करता है ओर कब्ज का नाश होता है। एलोवेरा जूस पेट र्दद मे भी आराम देता है।इसमे  वायु को कम करने के (Anti Vayu) गुण होने के कारण पेट की गैस के लिए भी इसे सुबह शाम खाली पेट लिया जा सकता है।

चमड़ी रोगों  मे (Skin Diseases) :- इसे मक्खन के साथ  चमड़ी के अलसर (Ulcers) पर लगाने से जलन से छुटकारा मिलता है।एलोवेरा जूस से त्वचा की नमी बनी रहती है। एलोवेरा  का  जूस  पीने  से  रुखी  त्वचा, त्वचा  की  खराबी,  महासे,  झुरीयां, धूप  से  झुलसी  तवचा, आखो  के काले  घेरे  चिहरे  के  दाग  धबो को  दूर  किया  जा  सकता  है। 

गठीए के रोग में (Anti Reumatic) :- एलोवेरा का जूस काली र्मिच (Black Pepper) के साथ लेने से गठीआ जोडों के र्दद मे आराम मिलता है।

बुखार मे :- एलोवेरा का काडा (Decoction) गिलोए के साथ देने से  बुखार मे लाभ होता है।

सरदी खांसी के लिए :- एलोवेरा का गूदा शहद ओर हलदी के साथ लेने से खांसी ओर सरदी मे लाभ होता है।

खून की  कमी  पूरा  करे (HAEMOGLOBIN):- एलोवरा  का  जूस खून  को साफ़  करता  है  और खून ( HAEMOGLOBIN) की कमी  को  पूरा  करता  है।यह  शरीर  मे  सफ़ेद   ब्लड  सैल्स की संख्या को भी बढाता  है।

एहतियात (Precaution) :-  गरभवती महिलाओं को एलोवेरा नही देना चाहिए।

तैयारी (Preparation):- एलोवेरा से लोशन(Lotion), जूस(Juice), जैल(Gel), पाउडर(Powder), काडा(Decoction), पेसट(Paste) ओर अन्य दबाओ के साथ मिश्रण(Tincture) तैयार किए जाते है।

Sunday 29 January 2017

अशोक।एक कुदरती औषधी Ashok Tree a Natural Medicine in Hindi

      अशोक जडी बूटी की दवाइयों में एक दिव्य रतन की तरह है। भारत मे इसका गुणगान प्राचीनकाल से ही होता रहा है।प्राचीनकाल में ख़ुशी ओर गमी को दूर करने के लिए अशोक वाटीकायों ओर उध्दानों का प्रयोग होता था।इसी कारण इसके नाम अपशोक, विशोक, शोकनाश रखे गए थे।अशोक के ओर भी कई नाम हैं। जैसे चिर , हेमपुष्प, कंकेली, कंटाचरणदोहडा, कर्णपूरक, केलिक, कर्णपूरा, दोषहारी, गन्धपुष्प, मधुपुष्प, पिंडपुष्प, रमा, रोगीतारु, सुभग, वामनघरिघटक, वाताशोक आदि अशोक के संस्कृत भाषा के नाम हैं।भारत में अशोक को हिन्दु धर्म में एक पवित्र वृक्ष माना गया है।प्रेम के देवता कामदेव के पांच पुष्प वाणों में एक पुष्प अशोक पुष्प भी है।
      भारत में अशोक बिहार कर्नाटका, उतराखंड ,महाराष्ट्र, हिमाचल, पूर्वी बंगाल ओर हमेशा हरे भरे रहने वाले जंगलों में पाया जाता है।अशोक की कई प्रजातीया हैं। औषधी के रूप में दो प्रजातीयों का ही प्रयोग किया जाता है।औषधी के रूप मे अशोक का प्रयोग हजारो सालो से हो रहा है।
      अशोक (Saraca asoca (Roxb) willd) 9 से 10 मीटर ऊँचा सदा हरा-भरा रहने वाला पेड़ है। दवाइयों के रूप मे इसकी छाल का ही प्रयोग ज़्यादातर किया जाता है।इसके पत्ते, फूलों और बीजों को भी औषधी के रूप में प्रयोग किया जाता है। अशोक की छाल का रंग गहरा भूरा होता है।पत्ते हरे लम्बे और नुकीले होते हैं।इसमें पीले से नारंगी और बाद में लाल रंग के हो जाने वाले फूल आते हैं।फलीयों के रूप मे इसमे फल आते हैं। अशोक के तने मे से सफ़ेद रंग का रस निकलता है ।जह रस बाद में सूखकर लाल हो जाता है। इसे अशोक का गोंद कहते हैं।

भिभिन्न भाषाओ में  नाम :
Sanskrit : Anganapriya, Ashok, Chira, Dohali, Gandhapushpa, Doshahari, Hemapushpa, Apshoka, Shokaharata, Shokanasha, Vanjula, Vishoka

English : Ashok tree.
Hindi : Sita ashok, Ashok.
Telugu : Ashokamu.
Pinjabi : Ashok.
Marathi : Ashok, Jasundi.
Bengali : Ashoka.
Assamese : Ashoka
Malayalam : Ashokam.
Tamil : Ashogam.

अशोक गर्भाशय (Uterus) की मुख्य दबा है। जय स्त्री रोगों में बहुत फ़ायदा करती है।स्त्रीओं में होने वाले रोग श्रवेत प्रदर,बॉज्ञपन,रक्त प्रदर,अतिसार,र्दद,सूजन,पेशाब मे र्दद ,उदर रोगों को नष्ट करने वाला है।अशोक स्वाद में मधुर,कषाय,तिक्त है।जह लघु, शीत, रुक्ष गुणो वाला है।

अशोक के दवा के रूप मे प्रयोग (Medicinal uses of Ashok tree )
स्त्री रोगो में अशोक की छाल से बनी अशोकारिष्ट और अशोक घृत बहुत ही प्रभावकारी दवाएँ हैं।
1.सफ़ेद प्रदर लिकोरया (Leucorrhoea) अशोक छाल का चूर्ण बराबर मात्रा मे मिर्शी मिलाकर दिन में  दो बार, गाय के दूध के साथ लेने से कुछ ही दिनों मे स्फेद प्रदर रोग ठीक हीने लगेगा।
2.रक्त प्रदर मे उपयोगी (bleeding) अशोक के 2-3 ग्राम फूलो को पानी मे पीसकर पीने से रक्त प्रदर मे लाभ होता है।
3. टूटी हड्डी ठीक करे (Bone fracture) :- 6 ग्राम अशोक छाल चूर्ण दूध के साथ लेने ओर इसी का लेप करने से टूटी हड्डी ठीक हो जाती है ओर दर्द भी खत्म होता है।
4. चमड़ी विकार में (Skin problems) : अशोक की साल के रस मे सरसों पीसकर छाया मे सुखाकर रख लें ओर जब भी लगाना हो तो अशोक  शाल के रस मे पीसकर लगाए।इससे चमड़ी का रंग निखरता है।
* मुहासे (Pimples) : अशोक  शाल का कवाथ उबाल लें ओर गाड़ा होने पर ठंडा कर ले ओर बराबर मात्रा मे सरसों का तेल मिलाकर फोड़े -फुंसी, मुहासो पर लगाए।
5. पथरी रोग में उपयोगी (Urinari Stone) :अशोक के 2-3 ग्राम बीजों को पानी मे पीसकर दो चम्मच की मात्रा मे लेने से पथरी के दर्द मे लाभ होता है।
6. अशोकारिष्ट (Ashokarishta) : 20-25 मि:ली अशोकारिष्ट को रोज़ाना खाना खाने के बाद लेने से रक्त प्रदर, जवर, रक्तपित, शवेतप्रदर, मन्दाग्नि, अरुचि, शोथ आदि रोगों मे बहुत लाभ होता है।

Note :- अशोक के वृक्ष के बारे मे दी गई सारी जानकारी आपकी अच्छी सेहत के लिए है। गंम्भीर समस्याओं मे चिकित्सक की सलाह से ही इसका प्रयोग करे।

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