तुलसी सभी स्थानों पर पाई जाती है। भारतवर्ष में तुलसी को लोग माता के समान मानकर जल चढाते हैं ओर शीश नवाते हैं। इसे लोग अपने घरो में मंदिरों में लगाते हैं। हिंदू धर्म में तुलसी को बहुत महत्व दिया गया है ।घरों में इसकी पूजा की जाती है। इसी लिए तुलसी घर-घर में लगाई जाती है। तुलसी अकाल मृत्यु से छुटकारा दिलाती है ऐसी मानयता है। व्यक्ति के मरने से पूर्व उसके मुख मे तुलसी डालने की प्रथा है। तुलसी की अनेक किसमें हैं। आमतोर पर तुलसी पाँच प्रकार की पाई जाती है। राम तुलसी , श्याम तुलसी ,शवेत सुरसा, नीम्बू तुलसी वह वन तुलसी। आजकल बजार में बहुत सी र्फ़ामेसी की दुकानो पर पांच प्रकार की तुलसी का तेल ( Tulsi extract ) भी आसानी से मिल जाता है।
विभिन्न भाषाओ में नाम
संस्कृत तुलसी, सरसा।
हिंदी तुलसी।
अंग्रेजी बेसिल।
लैटिन ओसिमम सेक्टम।
बंगाली तुलसी, कुरल।
मराठी तुलस, काली तुलसी।
गुजराती तुलस।
तेलगू वृन्दा, गगेरा,
कृष्णा तुलसी।
स्वाद :- तीखा
रंग :- हरा ओर पीला
स्वरुप :- तुलसी का पौधा झाडीदार व 1से 4 फ़ुट ऊंचा होता है ।
मात्रा :- तुलसी के पत्तों का चुर्ण 1 से 3 ग्राम, तुलसी के पत्तों का रस 5 स 10 मिलीलीटर , काढ़ा 25 से 50 मिलीलीटर और बीज का चुर्ण 1से 2 ग्राम तक प्रयोग किया जाता है।
गुण :- तुलसी गर्म ,हलकी ,तीखी, कटु, पाचन, शक्ति को बढाने वाली होती है। यह एक बेहतरीन एंटी-आकसीडैंट, एंटी-वैकटीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-वॉयोटिक, एंटी-एजिंग,एंटी-सैप्टिक, एंटी-फ़लू, एंटी-इन्फ़लामेटरी व एंटी-डीसीज है।
तुलसी कीड़ों को नष्ट करने बाली ,दुर्गध दूर करने वाली , कफ़ को निकालने वाली ,वायु ( Vata ) को दूर करने वाली ,ह्रदय के लिए लाभकारी होती है। यह कब्ज , सूजन, कमजोरी, सांस की बदबू को दूर करती है।
लाभ :-
तुलसी को 200 से जियादा बिमारीयो में लाभकारी पाया गया है।जिनमें खांसी , जुकाम , फ़लू, स्वाईन फ़लू, मलेरिया ,प्लेग , पथरी, मोटापा, ब्लड प्रेशर , शुगर , एलर्जी , जोडों का दर्द , गठिया , पेट के कीड़े , हैपेटाइटिस , जलन , दमा , बवासीर ,मरोड , दाद-खाज-खुजली, सिर दर्द, नकसीर , पायरिया ,अल्सर ,फ़ेफ़डो की सूजन , स्ट्रेस, वीर्य की कमी , थकान , अतिसार , मूत्र सम्बन्धी रोग इत्यादि शामिल हैं।
अनय लाभ :-
* शरीर मे लाल रक्त सेल्स ( Hemoglobin ) को बढ़ाने मे अत्यंत सहायक है ।
* शरीर पर किसी जहरीले कीड़े के काटने जां आग से जलनें पर तुलसी के अर्क को लगाने से लाभ हता है।
* तुलसी के नियमित उपयोग से कोलैस्ट्रोल का स्तर ( Cholesterol level ) कम होने लगता है। रक्त के थक्के जमने कम हो जाते है व हार्ट-अटैक ओर स्ट्रोक की रोकथाम होती है।
* तुलसी त्वचा का कायाकल्प कर देती है।शरीर मे खून को साफ़ करती है ओर चमड़ी चमकदार बनाती है।
रोग ओर उपचार :-
रोगप्रतिरोदक ( Immunity builder ) :- प्रात काल खाली पेट 5-10 ताज़ा तुलसी के पत्ते पानी के साथ लेने से रोगप्रतिरोदक क्षमता (Immunity) बढ़ती है। यह सर्दी ,जुकाम ,बुखार से लेकर कैसर तक के लिए लाभकारी है।
माइग्रेन की अचूक औषधि (Medicine of Migraine) :-
तुलसी के पत्तों को छाया मे सुखा कर चूर्ण बना लें एक चौथाई चम्मच चूर्ण सुबह-शाम शहद के साथ लेने से आधासीसी (Migraine) मे लाभ मिलता है।
शीघ्र पतन :- तुलसी के बीज + मिश्री को बराबर की मात्रा में मिलाकर पाउडर बनाए तथा प्रात दूध के साथ सेवन करें। साभधानियां :- तुलसी के साथ दूध का प्रयोग नही करना चाहिए इससे कुष्ट रोग होने की संभावना रहती है। तुलसी का अधिक मात्रा मे सेवन करना मस्तिष्क के लिए हानिकारक होता है।
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