Friday, 23 September 2016

Arjuna Tree in Hindi। अर्जुन का वृक्ष ओर अर्जुन छाल के लाभ ।

      अर्जुन का वृक्ष जंगलों में पाया जाता है।इस पर बैशाख, ज्येष्ठ में  फूल खिलते हैं ओर फल जाड़े मे आते हैं।इसके फल कोष्ठमय लम्ब अंडाकार 5 उठी हुई धारियों से युकत 1-2 इंच तक लम्बे होते हैं। इसके फल के अन्दर बीज नहीं होते।

विभिन्न भाषाओ में  नाम :-
अंग्रेज़ी                                                            अर्जुन।
संस्कृत                           धवल, कुकुभ, अर्जुन, संबर।
हिन्दी                                                    अर्जुन , काहू।
मराठी                                     सादडा, सदरु, अर्जुन।
तेलगू                                                           धर्रमछि।
बंगाली                                                  अर्जुन, गाछ।
पंजाबी                                                       कौ, कौह।
कर्नाटकी                                                      कम्युत्ते।
गुजराती                                 घोलो, साजड, सादडो।

     अर्जुन की छाल में अनेक तरह के रासायनिक घटक  हैं। इसमे कैल्शियम कार्बोनेट लगभग 34 प्रतिशत है व सोडियम ,मैग्नीशियम ओर एल्युमिनियम भी शामिल हैं। इसमें कैल्शियम -सोडियम प्रचुर मात्रा मे पाए जाते है । इसीलिए यह ह्रदय की मांसपेशियों मे सूक्ष्म स्तर पर कार्य करता है। अर्जुन की छाल को धूप मे सुखा कर उसका पावडर वना कर कई रोगों मे प्रयोग किया जाता है।

उपयोगी हिस्से:-   पत्ते, छाल, जड़

स्वाद :- कसैला, तीखा

अर्जुन के गुण :- अर्जुन शीतल है । यह मेद , प्रमेह, कफ़, पिट को नष्ट करता है।इससे ह्रदय की मांसपेशियों को ताक़त मिलती है।ह्रदय की कार्य करने की क्षमता बढ़ती है।अर्जुन के प्रयोग से रक्त की अम्लता (Blood acidity ) कम होती है।
   अर्जुन का प्रयोग करने से कोलेसट्राल, मोटापा, पेट दर्द, कान का दर्द, श्वेतप्रदर, मुँह की झांइया, क्षय, खांसी , बुखार , हड्डी टूटना, हाई बीपी जैसी बिमारीयां ठीक होती हैं ।

रोग और उपचार
कान का दर्द :- अर्जुन के पत्तों का रस निकालकर 3-4 बूंद कान मे डालने से कान का दर्द मिटता है।

बड़ी हृई धड़कन :- अर्जुन छाल का चूर्ण 1 चम्मच  1 गिलास टमाटर के रस मे मिलाकर सेवन करने से धड़कन सामान्य हो जाती है।

* अर्जुन छाल का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा मे रोज़ाना मलाई निकाले हुए दूध के साथ सुबह शाम सेवन करते रहने से ह्रदय के सारे रोग ठीक होते हैं ह्रदय की बड़ी हुई धड़कन सामान्य होती है।इससे ह्रदय को ताक़त मिलती है।

ह्रदय रोग की अचुक दवा (Best Herb for Heart Disease)
* हार्ट अटैक हो चुका हो तो अर्जुन छाल का काढा सुबह शाम दोनो समय पीने से लाभ होता है।
* ह्रदय रोगों में अर्जुन की छाल चा बारीक चूर्ण इन्जेकशन से भी अधिक प्रभाव दिखाता है।इसे जीभ पर रखकर चूसते ही रोग कम होने लगता है। ह्रदय  की अधिक धड़कने ओर नाडी की गति बहुत कमज़ोर होने पर रोगी की जीभ पर इसे रखने मात्र से नाडी में तुरंत शक्ति प्रतीत होने लगती है। इसका लाभ सथाई है ओर इसका कोई नुकसान नहीं होता

टूटी हड्डी के लिए :- हड्डी टूटने से प्लास्टर चढ़ा हो तो अर्जुन छाल का बारीक चूर्ण एक चम्मच की मात्रा रोज़ दिन मे तीन बार एक कप दूध के साथ कुछ समय तक सेवन करते रहने से हड्डी मज़बूत हो जाती है।

बुखार मे उपयोगी :- अर्जुन छाल का 1 चम्मच चूर्ण गुड के साथ लेने से तेज बुखार मिटता है।

मुंह के छाले दूर करे :- नारियल के तेल मे इसकी छाल का चूर्ण मिलाकर मुंह के छालो पर लगाने से छाले ठीक हो जाते है।

हाई ब्लड प्रेशर कम करे (Hypertension) :- रोज़ाना सुबह शाम अर्जुन की छाल के चूर्ण की चाए बनाकर पीने से हाई बीपी ( Hypertension) ठीक होता है।

पेशाब की रुकावट में उपयोगी :- इसकी छाल से तैयार काढ़े को पीने से पेशाब की रुकावट दूर हो जाती है

सूजन:- अंगो मे पानी पड़ जाने ओर शरीर पर सूजन आने पर अर्जुन की छाल का प्रयोग किया जाता है।मूत्रल (Diuretic) होने के कारण गुर्दो पर इसका प्रभाव अधिक मूत्र लाने वाला होता है।

फोड़े - जख्म :-अर्जुन छाल का काढा बनाकर उससे जख्मो को धोने से लाभ होता है। चोट लगाने से अगर मास नीला पड़ गया हो तो इसकी जड़ का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में दूध के साथ लेने से ठीक होता है।

कोलेसट्राँल (Cholesterol) :- अर्जुन की छाल का पावडर 1चम्मच ,2गिलास पानी मे तब तक उबालें जब तक कि पानी आधा ना हो जाए इसको ठंडा कर के रोज़ सुबह शाम पियें इससे कोलेसट्रॉल कम होने लगता है।

Saturday, 10 September 2016

Tulsi (Basil) तुलसी In hindi

     तुलसी सभी स्थानों पर पाई जाती है। भारतवर्ष में तुलसी को लोग माता के समान मानकर जल चढाते हैं ओर शीश नवाते हैं। इसे लोग अपने घरो में मंदिरों में लगाते हैं। हिंदू धर्म में तुलसी को बहुत महत्व दिया गया है ।घरों में इसकी पूजा की जाती है। इसी लिए तुलसी घर-घर में लगाई जाती है। तुलसी अकाल मृत्यु से छुटकारा दिलाती है ऐसी मानयता है। व्यक्ति के मरने से पूर्व उसके मुख मे तुलसी  डालने की प्रथा है। तुलसी की अनेक किसमें हैं। आमतोर पर तुलसी पाँच प्रकार की पाई जाती है। राम तुलसी , श्याम तुलसी ,शवेत सुरसा, नीम्बू तुलसी वह वन तुलसी। आजकल बजार में बहुत सी र्फ़ामेसी की दुकानो पर पांच प्रकार की तुलसी का तेल ( Tulsi extract ) भी आसानी से मिल जाता है।
    विभिन्न भाषाओ में  नाम
संस्कृत                       तुलसी, सरसा। 
हिंदी                                       तुलसी।
अंग्रेजी                                   बेसिल।
लैटिन                    ओसिमम सेक्टम।
बंगाली                        तुलसी, कुरल।
मराठी               तुलस, काली तुलसी।
गुजराती                                  तुलस।
तेलगू                             वृन्दा, गगेरा, 
                                    कृष्णा तुलसी।
स्वाद :- तीखा
रंग  :- हरा ओर पीला
स्वरुप :- तुलसी का पौधा झाडीदार व 1से 4 फ़ुट ऊंचा होता है ।
मात्रा :- तुलसी के पत्तों का  चुर्ण 1 से 3 ग्राम, तुलसी के पत्तों का रस 5 स 10 मिलीलीटर , काढ़ा 25 से 50 मिलीलीटर और बीज का चुर्ण 1से 2 ग्राम तक प्रयोग किया जाता है।
गुण :- तुलसी गर्म ,हलकी ,तीखी, कटु, पाचन, शक्ति को बढाने वाली होती है। यह एक बेहतरीन एंटी-आकसीडैंट, एंटी-वैकटीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-वॉयोटिक, एंटी-एजिंग,एंटी-सैप्टिक, एंटी-फ़लू, एंटी-इन्फ़लामेटरी व एंटी-डीसीज है।
तुलसी कीड़ों को नष्ट करने बाली ,दुर्गध दूर करने वाली , कफ़ को निकालने वाली ,वायु  ( Vata ) को दूर करने वाली ,ह्रदय के लिए लाभकारी होती है। यह कब्ज , सूजन, कमजोरी, सांस की बदबू को दूर करती है।
लाभ :-
  तुलसी को 200 से जियादा बिमारीयो में लाभकारी पाया गया है।जिनमें खांसी , जुकाम , फ़लू, स्वाईन फ़लू, मलेरिया ,प्लेग , पथरी, मोटापा, ब्लड प्रेशर , शुगर , एलर्जी , जोडों का दर्द , गठिया , पेट के कीड़े , हैपेटाइटिस , जलन , दमा , बवासीर ,मरोड , दाद-खाज-खुजली, सिर दर्द, नकसीर , पायरिया ,अल्सर ,फ़ेफ़डो की सूजन , स्ट्रेस, वीर्य की कमी , थकान , अतिसार , मूत्र सम्बन्धी रोग इत्यादि शामिल हैं।
अनय लाभ :-
*  शरीर मे लाल रक्त सेल्स ( Hemoglobin ) को बढ़ाने मे अत्यंत सहायक है ।
*  शरीर पर किसी जहरीले कीड़े के काटने जां आग से जलनें पर तुलसी के अर्क को लगाने से लाभ हता है।
* तुलसी के नियमित उपयोग से कोलैस्ट्रोल का स्तर ( Cholesterol level ) कम होने लगता है। रक्त के थक्के जमने कम हो जाते है व हार्ट-अटैक ओर स्ट्रोक की रोकथाम होती है।
*  तुलसी त्वचा का कायाकल्प कर देती है।शरीर मे खून को साफ़ करती है ओर चमड़ी चमकदार बनाती है।
रोग ओर उपचार :-
  रोगप्रतिरोदक ( Immunity builder ) :-  प्रात काल खाली पेट 5-10 ताज़ा तुलसी के पत्ते पानी के साथ लेने से रोगप्रतिरोदक क्षमता (Immunity) बढ़ती है। यह सर्दी ,जुकाम ,बुखार से लेकर कैसर तक के लिए लाभकारी है।
  माइग्रेन की अचूक औषधि (Medicine of Migraine) :-
तुलसी के पत्तों को छाया मे सुखा कर चूर्ण बना लें एक चौथाई चम्मच चूर्ण सुबह-शाम शहद के साथ लेने से आधासीसी (Migraine) मे लाभ मिलता है।
  शीघ्र पतन :- तुलसी के बीज + मिश्री को बराबर की मात्रा में मिलाकर पाउडर बनाए तथा प्रात दूध के साथ सेवन करें।   साभधानियां :- तुलसी के साथ दूध का प्रयोग नही करना चाहिए  इससे कुष्ट रोग होने की संभावना रहती है। तुलसी का अधिक मात्रा मे सेवन  करना मस्तिष्क के लिए हानिकारक होता है।

ब्लड प्रेशर कम होने का कारण-लक्षण और ऊपाए । Low Blood Pressure /Hypotension Cause,Symptom and Treatment.

           इस तनाव भरी जिँदगी में  लोगों में  ब्लड प्रेशर (रक्तचाप) की समस्या बढती जा रही है। जितना घातक हाई ब्लड प्रेशर होता है उतना ही...