अर्जुन का वृक्ष जंगलों में पाया जाता है।इस पर बैशाख, ज्येष्ठ में फूल खिलते हैं ओर फल जाड़े मे आते हैं।इसके फल कोष्ठमय लम्ब अंडाकार 5 उठी हुई धारियों से युकत 1-2 इंच तक लम्बे होते हैं। इसके फल के अन्दर बीज नहीं होते।
विभिन्न भाषाओ में नाम :-
अंग्रेज़ी अर्जुन।
संस्कृत धवल, कुकुभ, अर्जुन, संबर।
हिन्दी अर्जुन , काहू।
मराठी सादडा, सदरु, अर्जुन।
पंजाबी कौ, कौह।
कर्नाटकी कम्युत्ते।
गुजराती घोलो, साजड, सादडो।
अर्जुन की छाल में अनेक तरह के रासायनिक घटक हैं। इसमे कैल्शियम कार्बोनेट लगभग 34 प्रतिशत है व सोडियम ,मैग्नीशियम ओर एल्युमिनियम भी शामिल हैं। इसमें कैल्शियम -सोडियम प्रचुर मात्रा मे पाए जाते है । इसीलिए यह ह्रदय की मांसपेशियों मे सूक्ष्म स्तर पर कार्य करता है। अर्जुन की छाल को धूप मे सुखा कर उसका पावडर वना कर कई रोगों मे प्रयोग किया जाता है।
उपयोगी हिस्से:- पत्ते, छाल, जड़
स्वाद :- कसैला, तीखा
अर्जुन के गुण :- अर्जुन शीतल है । यह मेद , प्रमेह, कफ़, पिट को नष्ट करता है।इससे ह्रदय की मांसपेशियों को ताक़त मिलती है।ह्रदय की कार्य करने की क्षमता बढ़ती है।अर्जुन के प्रयोग से रक्त की अम्लता (Blood acidity ) कम होती है।
अर्जुन का प्रयोग करने से कोलेसट्राल, मोटापा, पेट दर्द, कान का दर्द, श्वेतप्रदर, मुँह की झांइया, क्षय, खांसी , बुखार , हड्डी टूटना, हाई बीपी जैसी बिमारीयां ठीक होती हैं ।
रोग और उपचार
कान का दर्द :- अर्जुन के पत्तों का रस निकालकर 3-4 बूंद कान मे डालने से कान का दर्द मिटता है।
बड़ी हृई धड़कन :- अर्जुन छाल का चूर्ण 1 चम्मच 1 गिलास टमाटर के रस मे मिलाकर सेवन करने से धड़कन सामान्य हो जाती है।
* अर्जुन छाल का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा मे रोज़ाना मलाई निकाले हुए दूध के साथ सुबह शाम सेवन करते रहने से ह्रदय के सारे रोग ठीक होते हैं ह्रदय की बड़ी हुई धड़कन सामान्य होती है।इससे ह्रदय को ताक़त मिलती है।
ह्रदय रोग की अचुक दवा (Best Herb for Heart Disease)
* हार्ट अटैक हो चुका हो तो अर्जुन छाल का काढा सुबह शाम दोनो समय पीने से लाभ होता है।
* ह्रदय रोगों में अर्जुन की छाल चा बारीक चूर्ण इन्जेकशन से भी अधिक प्रभाव दिखाता है।इसे जीभ पर रखकर चूसते ही रोग कम होने लगता है। ह्रदय की अधिक धड़कने ओर नाडी की गति बहुत कमज़ोर होने पर रोगी की जीभ पर इसे रखने मात्र से नाडी में तुरंत शक्ति प्रतीत होने लगती है। इसका लाभ सथाई है ओर इसका कोई नुकसान नहीं होता
टूटी हड्डी के लिए :- हड्डी टूटने से प्लास्टर चढ़ा हो तो अर्जुन छाल का बारीक चूर्ण एक चम्मच की मात्रा रोज़ दिन मे तीन बार एक कप दूध के साथ कुछ समय तक सेवन करते रहने से हड्डी मज़बूत हो जाती है।
बुखार मे उपयोगी :- अर्जुन छाल का 1 चम्मच चूर्ण गुड के साथ लेने से तेज बुखार मिटता है।
मुंह के छाले दूर करे :- नारियल के तेल मे इसकी छाल का चूर्ण मिलाकर मुंह के छालो पर लगाने से छाले ठीक हो जाते है।
हाई ब्लड प्रेशर कम करे (Hypertension) :- रोज़ाना सुबह शाम अर्जुन की छाल के चूर्ण की चाए बनाकर पीने से हाई बीपी ( Hypertension) ठीक होता है।
पेशाब की रुकावट में उपयोगी :- इसकी छाल से तैयार काढ़े को पीने से पेशाब की रुकावट दूर हो जाती है
सूजन:- अंगो मे पानी पड़ जाने ओर शरीर पर सूजन आने पर अर्जुन की छाल का प्रयोग किया जाता है।मूत्रल (Diuretic) होने के कारण गुर्दो पर इसका प्रभाव अधिक मूत्र लाने वाला होता है।
फोड़े - जख्म :-अर्जुन छाल का काढा बनाकर उससे जख्मो को धोने से लाभ होता है। चोट लगाने से अगर मास नीला पड़ गया हो तो इसकी जड़ का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में दूध के साथ लेने से ठीक होता है।
कोलेसट्राँल (Cholesterol) :- अर्जुन की छाल का पावडर 1चम्मच ,2गिलास पानी मे तब तक उबालें जब तक कि पानी आधा ना हो जाए इसको ठंडा कर के रोज़ सुबह शाम पियें इससे कोलेसट्रॉल कम होने लगता है।
विभिन्न भाषाओ में नाम :-
अंग्रेज़ी अर्जुन।
संस्कृत धवल, कुकुभ, अर्जुन, संबर।
हिन्दी अर्जुन , काहू।
मराठी सादडा, सदरु, अर्जुन।
तेलगू धर्रमछि।
बंगाली अर्जुन, गाछ।पंजाबी कौ, कौह।
कर्नाटकी कम्युत्ते।
गुजराती घोलो, साजड, सादडो।
उपयोगी हिस्से:- पत्ते, छाल, जड़
स्वाद :- कसैला, तीखा
अर्जुन के गुण :- अर्जुन शीतल है । यह मेद , प्रमेह, कफ़, पिट को नष्ट करता है।इससे ह्रदय की मांसपेशियों को ताक़त मिलती है।ह्रदय की कार्य करने की क्षमता बढ़ती है।अर्जुन के प्रयोग से रक्त की अम्लता (Blood acidity ) कम होती है।
अर्जुन का प्रयोग करने से कोलेसट्राल, मोटापा, पेट दर्द, कान का दर्द, श्वेतप्रदर, मुँह की झांइया, क्षय, खांसी , बुखार , हड्डी टूटना, हाई बीपी जैसी बिमारीयां ठीक होती हैं ।
रोग और उपचार
कान का दर्द :- अर्जुन के पत्तों का रस निकालकर 3-4 बूंद कान मे डालने से कान का दर्द मिटता है।
बड़ी हृई धड़कन :- अर्जुन छाल का चूर्ण 1 चम्मच 1 गिलास टमाटर के रस मे मिलाकर सेवन करने से धड़कन सामान्य हो जाती है।
* अर्जुन छाल का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा मे रोज़ाना मलाई निकाले हुए दूध के साथ सुबह शाम सेवन करते रहने से ह्रदय के सारे रोग ठीक होते हैं ह्रदय की बड़ी हुई धड़कन सामान्य होती है।इससे ह्रदय को ताक़त मिलती है।
ह्रदय रोग की अचुक दवा (Best Herb for Heart Disease)
* हार्ट अटैक हो चुका हो तो अर्जुन छाल का काढा सुबह शाम दोनो समय पीने से लाभ होता है।
* ह्रदय रोगों में अर्जुन की छाल चा बारीक चूर्ण इन्जेकशन से भी अधिक प्रभाव दिखाता है।इसे जीभ पर रखकर चूसते ही रोग कम होने लगता है। ह्रदय की अधिक धड़कने ओर नाडी की गति बहुत कमज़ोर होने पर रोगी की जीभ पर इसे रखने मात्र से नाडी में तुरंत शक्ति प्रतीत होने लगती है। इसका लाभ सथाई है ओर इसका कोई नुकसान नहीं होता
टूटी हड्डी के लिए :- हड्डी टूटने से प्लास्टर चढ़ा हो तो अर्जुन छाल का बारीक चूर्ण एक चम्मच की मात्रा रोज़ दिन मे तीन बार एक कप दूध के साथ कुछ समय तक सेवन करते रहने से हड्डी मज़बूत हो जाती है।
बुखार मे उपयोगी :- अर्जुन छाल का 1 चम्मच चूर्ण गुड के साथ लेने से तेज बुखार मिटता है।
मुंह के छाले दूर करे :- नारियल के तेल मे इसकी छाल का चूर्ण मिलाकर मुंह के छालो पर लगाने से छाले ठीक हो जाते है।
हाई ब्लड प्रेशर कम करे (Hypertension) :- रोज़ाना सुबह शाम अर्जुन की छाल के चूर्ण की चाए बनाकर पीने से हाई बीपी ( Hypertension) ठीक होता है।
पेशाब की रुकावट में उपयोगी :- इसकी छाल से तैयार काढ़े को पीने से पेशाब की रुकावट दूर हो जाती है
सूजन:- अंगो मे पानी पड़ जाने ओर शरीर पर सूजन आने पर अर्जुन की छाल का प्रयोग किया जाता है।मूत्रल (Diuretic) होने के कारण गुर्दो पर इसका प्रभाव अधिक मूत्र लाने वाला होता है।
फोड़े - जख्म :-अर्जुन छाल का काढा बनाकर उससे जख्मो को धोने से लाभ होता है। चोट लगाने से अगर मास नीला पड़ गया हो तो इसकी जड़ का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में दूध के साथ लेने से ठीक होता है।
कोलेसट्राँल (Cholesterol) :- अर्जुन की छाल का पावडर 1चम्मच ,2गिलास पानी मे तब तक उबालें जब तक कि पानी आधा ना हो जाए इसको ठंडा कर के रोज़ सुबह शाम पियें इससे कोलेसट्रॉल कम होने लगता है।